Sanskrit subjective question

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Sanskrit subjective question

(1) भारतमहिमा पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर – भारतमहिमा पाठ से हमें संदेश मिलता है कि हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए हम भारतीयों को हरि की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति का भी अवसर प्राप्त हुआ है। हमें सच्चा देशभक्त होना चाहिए और अन्य भारतीयों से मिल जुलकर एवं प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।

(2) नीतिशलोका: पाठ का पाँच वाक्य में परिचय दें।
उत्तर – इस पाठ में व्यास रचित महाभारत के उद्योग पर्व के अंतर्गत 8 अध्यायों की प्रसिद्ध विदुरनीति से संकलित दस श्लोक हैं। महाभारत युद्ध के आरंभ में धृतराष्ट्र ने अपनी चिंन्तशान्ति के लिए विदुर से परामर्श किया था। विदुर ने उन्हें स्वार्थपरक नीति त्याग पर राजनीति के शाश्वत पारमार्थिक उपदेश दिए थे। इन्हें विदुर नीति कहते हैं। इन श्लोकों में विदुर के अमूल्य उपदेश भरे हुए हैं।

(3) कर्ण की दानवीरता का वर्णन करें।
उत्तर – कर्ण की दानवीरता जगत प्रसिद्ध है, क्योंकि उसने अभेद्य कवच और कुंडल भी इंद्र को दान में दिया। कर्ण जानता था कि जब तक उसके पास कवच कुंडल विद्यमान है, तब तक उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। कर्ण को यह आवाज हो गया कि कृष्ण ने इंद्र के माध्यम से कवच और कुंडल माँगा है। कृष्ण जानते थे कि पांडव विजयी हो। यह जानते हुए भी कर्ण ने कवच और कुंडल का दान किया। इसलिए उसकी दानवीरता विश्वप्रसिद्ध है।

(4) गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी कह कवि ने किन से क्या प्रार्थना की है ?
उत्तर – इस पाठ गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी कहकर कवि ने माता पार्वती से प्रार्थना की हे जगन्माता भवानी इस संसार में मेरा कोई नहीं है। एकमात्र तुम्ही मेरा सहारा हो, तुम्हें उद्धारकर्ता हो।

(5) शास्त्रकारा: पाठ में वर्णित वैज्ञानिक शास्त्रों पर प्रकाश डालें।
उत्तर – प्राचीन भारत में अनेक वैज्ञानिक ऋषि थे। जिन्होंने विज्ञान संबंधी रचनाएँ लिखी। आयुर्वेद शास्त्र में चरक विरचित संहिता एवं सुश्रुतकृत सुश्रुत संहिता अति प्रसिद्ध है। इनमें रसायन विज्ञान एवं भौतिक विज्ञान का भी वर्णन है। आर्यभट्ट का आर्यभट्टीय के अतिप्रसिद्ध ग्रंथ है जिसमें अनेक विषयों भी वर्णन है। कृषि विज्ञान के रचयिता महर्षि पराशर है। इसमें पराशर है। इसमें वैज्ञानिक कृषि का वर्णन है। इस प्रकार भारतीय वैज्ञानिक शास्त्रकार किसी भी क्षेत्र में अन्य देशों से काम नहीं है।

(6) महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की शांति कैसे संभव है ?
उत्तर – महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की भावना को मित्रता, दया के द्वारा शांति संभव है।

(7) वासुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – वासुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा इसलिए आवश्यक है कि अगर देश जात, पात एवं उच्च नीच जैसे आक्रामक देशों को झेलता रहा तो हम शांति से नहीं रह पायेंगे। इसलिए जरूरी है कि सारा संसार ही अपना परिवार समझ जाए।

(8) आत्मा का स्वरूप कैसा है और वह कहाँ रहती है ?
उत्तर – आत्मा अणु से भी सूक्ष्म है और वह प्राणी के हृदय रूपी गुफा में रहती है।

(9) पटना का गुरुद्वारा किसके लिए और क्यों महत्वपूर्ण है ?
उत्तर – गुरु गोविंद सिंह ने पटना सिटी में जन्म लिया था। पटना सिटी में सभी सिख धर्म गुरु पधारे हैं। दसवें गुरु गोविंद सिंह का गुरुद्वारा भी यही है। इसलिए इस पवित्र स्थल का सिख संप्रदाय में बड़ा महत्व है।

(10) अलसकथा का क्या शिक्षा या संदेश है ?
उत्तर – अलसकथा का संदेश है कि अलस्य एक महान रोग है। अलसी का सहायक प्राय: कोई भी नहीं होता। जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। अलस्य शरीर में रहने वाला महान शत्रु है जिसे अपना परिवार का और समाज का विनाश अवश्यक ही होता है। यदि जीवन में विकास की इच्छा रखते हैं तब आलस्य त्यागकर उधम को प्रेरित हों।

(11) संस्कार कितने प्रकार के और कौन-कौन से होते हैं ?
उत्तर – संस्कार सोलह प्रकार के है। इन सोलह संस्कारों को मुख्य पाँच प्रकारों में बाँटा गया है – तीन जन्म से पूर्व वाले संस्कार, छः शैशव संस्कार, पाँच शिक्षा संबंधी संस्कार, एक विवाह के रूप में गृहस्थ संस्कार तथा एक मृत्यु के बाद अंत्येष्टि संस्कार ।

(12) रामप्रवेश की जीवनी पर प्रकाश डालें।
उत्तर – रामप्रवेश का जन्म बिहार राज्य अंतर्गत भीखन टोला नामक गाँव में हुआ था। वे पुस्तकालयों में अनेक विषयों की पुस्तकों का अध्ययन क्या करते थे। वे अध्ययन को छात्रों की पूजा मानते थे। अपने परिश्रम के परिमाणस्वरूप केंद्रीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने में वे सफल रहे।

(13) संस्कृत साहित्य में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर – समाजरूपी गाड़ी पुरुषों एवं स्त्रियों के द्वारा चलती है। संस्कृत साहित्य में प्राचीन काल से ही साहित्य समृद्धि में स्त्रियों की भूमिका सराहनीय है। वैदिक युग में मित्रों के वाचक न केवल ऋषि अपितु ऋषिकाएँ भी है। यमी, आपला, इंद्राणी, उर्वशी एवं मैत्रेयी स्त्रियों के मंत्रदर्शन आज के जाज्वल्यमान नक्षत्र की भाँति दीप्तिमान है। याज्ञवल्क्य की पत्नी ने स्वयं अपने पति से आत्म तत्व की शिक्षा ली है। जनक की सभा को बढ़ाने वाली गार्गी का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। लौकिक साहित्य में भी विदुषी क्षमता राव अत्यंत प्रसिद्ध है।

(14) व्याघ्रपथिककथा पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर – व्याघ्रपथिकथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को लोभ से आकृष्ट नहीं होना चाहिए तथा कदापि प्रलोभनों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।

(15) विश्वशान्ति: पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर – विश्वशान्ति: पाठ का मुख्य उद्देश्य है कि शांति से ही विश्व का कल्याण होगा। द्वेष असहिष्णुता, अविश्वास असंतोष स्वार्थ आदि अनेक अवगुणों के करण इस समय संसार में अशांति है। शांति भारतीय दर्शन का मूल तत्व माना जाता है। इस पाठ का उद्देश्य दया, परोपकार, मित्रता भाव से शांति स्थापित करता है।

(1) भारतीय समाज के उन्नयन में आर्यसमाज का क्या योगदान है ?
उत्तर – वर्तमान समय में आर्य समाज की शाखा- प्रशाखा देश और विदेशों में प्रायः सभी नगरों में विद्यमान है। सभी जगह सामाजिक एवं शिक्षा संबंधी दोषों का शोधन होता है। शिक्षा पद्धति में गुरुकुलों में डी० ए० वी० (दयानंद एंग्लोवैदिक) नाम से विद्यालयों का समूह (1883 ई० में) दयानंद की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों के द्वारा प्रारंभ हुआ। वर्तमान पद्धति में समाज के सुधार प्रवर्तन में दयानंद एवं आर्य समाज का योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा।

(2) कर्मवीर कथा के नायक रामप्रवेश राम की प्रसिद्धि का कारण क्या है?
उत्तर – रामप्रवेश राम की अपने प्रान्त या केंद्रीय प्रशासन में अत्यधिक प्रतिष्ठा है। उनके प्रशासन क्षमता और संकट के समय में उनके निर्णायक सामर्थ्य सभी को आकर्षित करते हैं। निश्चित ही यह कर्मवीर व्यतीत बढ़ाओ को पारकर प्रशासन के केंद्र में लोकप्रिय हो गए। सत्य ही कहा गया है कि – परिश्रमी सिंह को ही लक्ष्मी की प्राप्त होती है।

(3) स्वामी दयानंद की शिक्षा- व्यवस्था का वर्णन करें।
उत्तर – दयानंद ने समाजसुधारकों के साथ स्त्री शिक्षा एवं विधवा विवाह का समर्थन किया तथा मूर्ति पूजा छुआछूत एवं बाल विवाह का घोर विरोध किया। इन्होंने अपने सिद्धांतों के संकलन के लिए सत्यार्थ -प्रकाश नामक ग्रंथ को राष्ट्रभाषा हिंदी में लिखकर अपने अनुयायियों का महान उपकार किया। वेदों के प्रति अनुयायियों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए वेद का भाष्य संस्कृत -हिंदी दोनों भाषाओं में लिखा। दोषपूर्ण प्राचीन शिक्षा पद्धति के स्थान पर नई शिक्षा पद्धति का आरंभ किया। 1875 ई में अपने सिद्धांत के प्रचार -प्रसार हेतु मुंबई में आर्यसमाज की स्थापना करके अनुयायियों के समझ अपना उद्देश्य प्रकट किया।

(4) गुरु के द्वारा शास्त्र का क्या लक्ष्य बताया गया हैं?
उत्तर – मनुष्य को जिससे सांसारिक विषयों में अनुरकित अथवा विरक्ति अथवा मानवरचित विषयों का उचित ज्ञान मिलता है, उसे धर्म शास्त्र कहा जाता है। तात्पर्य यह कि जिस शास्त्र से ग्रहणीय एवं त्याज्य अर्थात किसी आचरण को अपनाया जाए तथा किस त्याग किया जाए तथा क्या मानव- रचित है तथा क्या ईश्वर प्रदत्त है का ज्ञान प्राप्त होता है, उसे धर्म शास्त्र कहते हैं। अतः धर्मशास्त्र से हमें सत्य- असत्य की सही जानकारी मिलती है।

(5) आज कौन-कौन से आविष्कार विध्वंसक है?
उत्तर – आज पूरे विश्व में अशांति फैला हुआ है। इस अशांति का सामना करने के लिए सभी देश विनाशकारी अस्त्र जैसे हाइड्रोजन बम परमाणु बम आदि विध्वंसक का आविष्कार कर रहे हैं।

(6) संस्कार का मूल कार्य क्या है ?
उत्तर – संस्कार का मौलिक अर्थ परिमार्जन रूप और गुणाधाम रूप है।

(7) मंगलम पाठ के आधार पर आत्मा का स्वरूप बताएँ।
उत्तर – मंगलम पाठ मे संकलित कठोपनिषद से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं की प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान- से- महान है। इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता है। विद्वान लोग शोक रहित होकर परमात्मा अर्थात ईश्वर का दर्शन करते हैं।

(8) भगवान बुद्ध के पाटलिपुत्र संबंधी विचारों पर प्रकाश डालें।
उत्तर – भगवान बुद्ध ने पाटलीग्राम के बारे में कहा था कि यह गाँव महानगर होगा। लेकिन यह नगर परस्पर लड़ाई आग और बाढ़ के भय से सदैव पीड़ित होता रहेगा। कालांतर में पाटलीग्राम को ही पटना कहा जाने लगा। बुद्ध की कही गई ये बातें सत्य हो रही है।

(9) अलस कथा पाठ में धूर्तों की पहचान कैसे हुई ?
उत्तर – आलसी लोगों के सुख को देखकर धूर्त लोग भी छल से भोजन प्राप्त करने लगे। धूर्त लोगों की पहचान के लिए सोए हुए आलसियों के घर में आग लगा दी गई। धूर्त लोग घर में लगी हुई आग को देखकर भाग गए।

(10) भारतभूमि पर देवता क्यों जन्म लेना चाहते हैं ?
उत्तर – देवतागन भी भारत भूमि के गीत गाते हैं। वे मनुष्य निश्चय ही धन्य (भाग्यवान) है जो स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने योग्य साधन स्वरूप भारत देश में देवत्व के रूप में जन्म लेते हैं।।

(11) वेदांगों का सामान्य परिचय दें।
उत्तर – वेदांग के छः अंग है – (i) शिक्षा (ii) कल्प (iii)व्याकरण (iv) निरुक्त (v) छंद और (vi) ज्योतिष। शिक्षा अंग उच्चारण प्रक्रिया का बोध कराता है, जिसके प्रवर्तक पाणिनी है। कल्प अंग में सूत्रात्मक कर्मकांड ग्रंथ है, जिसके प्रवर्तक बौधायन, भारद्वाज, गौतम वशिष्ठ आदि ऋषि है। निरुक्त वेद अर्थ का बोध कराता है, जिसके प्रवर्तक यास्त है। छंद अंग सूत्रग्रंथ है जिसके प्रवर्तक पिंगल है तथा ज्योतिष अंक के प्रवर्तक लगातार ऋषि है।

(12) विश्व में शांति स्थापना कैसे होगी ?
उत्तर – केवल उपदेशों से विश्वशांति नहीं हो सकती। हमें उपदेशों के अनुसार आचरण करना होगा। हम लोग जानते हैं की क्रिया के बिना अर्थात व्यवहार के बिना ज्ञान भार स्वरूप है। वैर से कभी भी वैर शांत नहीं होता। हमें दूसरों के प्रति निर्वेर दया परोपकार सहिष्णुता और मित्रता का भाव रखना होगा तभी विश्वशांति हो सकती है।

(13) कर्ण के अनुसार चिरस्थाई क्या है ?
उत्तर – समय बीतने पर शिक्षा नष्ट हो जाती है। मजबूत जड़ों वाले वृक्ष धरासही (गिर) हो जाते हैं । एक स्थान से दूसरे स्थान अर्थात नदी तालाब में गया हुआ जल सुख जाता है लेकिन क्या गया हवन तथा दानरूपी पुण्य हमेशा स्थिर रहता है। अर्थात कण के कहने का भाव है कि संसार में अन्य सारी वस्तुएँ नष्ट हो जाती है। सिर्फ दान रूपी पुण्य करती या यश अमिट और अमर होते हैं।

(14) मंदाकिनी नदी की शोभा का वर्णन करें।
उत्तर – जब बनारस काल में श्रीराम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट जाते हैं तब मंदाकिनी की प्राकृतिक सुषमा से बहुत ही प्रभावित हो जाते हैं। ऊंची कछारों वाली इन नदी के रमणीयता को देखकर सीता से कहते हैं कि यह नदी प्रकृतिक उपादानों से संकलित चित्र को आकर्षित कर रही है। रंग- बिरंगी छटावाली यह हंसो द्वारा सुशोभित है एवं इसके निर्मल जल में ऋषिगण स्नान करते हैं।

(15) विजयंका को सर्वशुक्ला सरस्वती क्यों कहा गया है ?
उत्तर – सर्वशुक्ला सरस्वती विजयंका को कहा गया है। लौकिक संस्कृत में विजयंका की भूमिका सराहनीय है। उसके पदों की सौष्ठता देखने में बनती है। एक असाधारण लेखिका की पराकाष्ठा से प्रभावित होकर ही दण्डी ने उसे सर्वशुक्ल सरस्वती कहा है। विजयंका श्याम वर्ण की थी किंतु उसकी कृतियाँ ज्योतिर्मय थी। नीलकमल की पंखुड़ियों की तरह विजयंका अपनी रचना में अद्भुत लेखन कला की आभा विखेरती है।

(1) विश्व में अशान्ति के क्या कारण है ?

उत्तर – अशान्ति मानव जीवन को नरक बना देती है। वास्तव में अशांति के दो मूल कारण है – द्वेष और असहिष्णुता। उत्पन्न होती है। स्वार्थ से अशांति बढ़ती है। इस अशांति को वेर से नहीं रोका जा सकता है, बल्कि यही दोष वैर और अशान्ति के मूल कारण है। करुणा और मित्रता से ही वैर को नष्ट कर संसार में शांति स्थापित की जा सकती है। 

 

(2) भारतमहिमा पाठ के आधार पर भारत की विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर – भारतमहिमा पाठ में भारत की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि यह भारतभूमि सदैव पवित्र और ममतामयी है। यह धरती विशाल स्मरणीय, रूपवाली, शुभस्वरूपा और बहुत सुंदर ऐश्वर्या वाली है। यह भारत भूमि सगरो वनों पर्वतों झरनों तथा बहती हुई नदियों से सदा सेवित है।

 

(3) नीतीशलोक: का पाठ के आधार पर नराधम के लक्षण लिखें।

उत्तर – बिना बोले प्रवेश करने वाला बिना पूछे बहुत बोलने वाला अविश्वासी व्यक्ति नराधम हम है। ऐसे नराधम से सदा दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ऐसा व्यक्ति धोखेबाज हो सकता है।

 

(4) कर्णस्य दानवीरता पाठ के नाटककार कौन है ? कर्ण किनका पुत्र था तथा उन्होंने इंद्र को दान में क्या दिया ?

उत्तर – इस पाठ के नाटककार भाष है। कर्ण सूर्य का पुत्र था। उन्होंने इंद्र को दान में अपनी रक्षा के लिए मिला कवच और कुंडल दे दिया। कर्ण जैसे दानवीर धरती पर पैदा नहीं हुआ।

 

(5) वेदांङ् कितने हैं ? उनके प्रवर्तकों एवं शास्त्रों के नाम लिखें।

उत्तर – वेदांङ् छः है – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द एवं ज्योतिष। शिक्षा उच्चारण प्रक्रिया का बोध कराता है। इसके प्रवर्तक पाणिनी है। कल्प अंग में सूत्रात्मक कर्मकांड ग्रंथ है, जिसके प्रवर्तक बोधायन भारद्वाज, गौतम वशिष्ठ आदि ऋषि है। निरुक्त वेद अर्थ का बोध कराता है, जिसके प्रवर्तक यास्क है। छन्द अङ्ग सूत्र ग्रन्थ है, जिसके प्रवर्तक पिङ्गल है तथा ज्योतिष अङ्ग के प्रवर्तक लगधर ऋषि है।

 

(6) भीष्मप्रतिज्ञा पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर – भीष्मप्रतिज्ञा पाठ में भीष्म की पितृभक्ति दर्शायी गई है। उनके त्याग की चर्चा की गई है। पिता के मन को सुखी रखना के लिए आजीवन राज सिंहासन का त्याग एवं आजीवन ब्रह्मचर्य- धर्म- निर्वाहन का व्रत लेना बहुत कठिन कार्य है। लेकिन पिता सुखी रहें इसके लिए देवव्रत को यह कार्य सरल लगा। अतः प्रेरणा मिलती है कि माता-पिता सर्वोपरि है, साथ ही त्याग के लिए संकल्प शक्ति आवश्यक है।

 

(7) असहिष्णुता का कारण- निवारण बताएँ।

उत्तर – एक देश दूसरे देश की उन्नति देखकर जलते हैं और इससे भी असहिष्णुता उत्पन्न होती है। विश्व में शांति स्थापित करके असहिष्णुता को समाप्त किया जा सकता है।

 

(8) किस कारण से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है?

उत्तर – हरिणसमूह द्वारा पिए गए जल गंदे हो गए जो मां को मोहित करने वाले तीर्थो के प्रति मेरे प्रेम को जगा रहे हैं। अर्थात वहाँ की रमणीयता पवित्रता एवं प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर मेरे मन में प्रेम रस का संचार करने लगे हैं।

 

(9) मध्यकाल में भारतीय समाज क्यों दूषित हो गया था ?

उत्तर – मध्यकाल में अनेक गलत (बुरी) रीतियों के कारण भारतीय समाज दूषित हो गया था। छुआछूत मूर्ति पूजा स्त्री शिक्षा का अभाव धर्म कार्यों में आडंबर जातिवाद विधवाओं की निंदित स्थिति आदि कुरीतियाँ भारतीय समाज में फैली हुई थी।

 

(10) सोने के कंगण को देखकर पथिक ने क्या सोचा ?

उत्तर – सोने के कंगण को देखकर पथिक ने सोचा कि यह भाग्य से ही संभव होता है। किंतु इसमें आत्मसंदेह वाले कार्य में झुकाव नहीं करनी चाहिए।

 

(11) लसकथा पाठ के आधार पर लेखक के विचार स्पष्ट करें।

उत्तर – अलाकथा पाठ में लेखक विद्यापति अपने विचार को स्पष्ट करते हुए कहते हैं की आलसी व्यक्ति बिना परिश्रम किए हुए जीवन व्यतीत करना चाहता है। कारूणिक व्यक्ति के बिना वह अपने को मौत से भी नहीं बचा पाता है। अलस्य शत्रु के समान है।

 

(12) संस्कृतसाहित्ये लेखिका: पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर – संस्कृतसाहित्ये लेखिका: पाठ से लेखक का स्पष्ट संदेश मिलता है कि महिला और पुरुष दोनों के योगदान से ही समाज की गाड़ी चलती है। साहित्य में भी दोनों का समान महत्व है। इस पाठ में यामी, आपला, उर्वशी, इंद्राणी, मैत्रेयी,विजयाङा एवं क्षमता राव जैसी आदि अतिप्रसिद्ध विदुषी लेखिकाओं की चर्चा है।

 

(13) भारतीय संस्कार का वर्णन किस रूप में हुआ है ?

उत्तर – भारतीय संस्कृति अनूठी है। जन्म से पूर्व संस्कारों से लेकर मृत्यु के बाद अंत्येष्टि संस्कार का अनुपम उदाहरण संसार के अन्य देशों में नहीं है। यहां की संस्कृति की विशेषता है कि जीवन में यहाँ समय-समय पर संस्कार मनाए जाते हैं। आज संस्कार सीमित एवं व्यंग्य रूप में प्रयोग किया जा रहे हैं। संस्कार व्यक्तित्व की रचना करता है। प्राचीन संस्कृति का ज्ञान संस्कार से ही उत्पन्न होता है। संस्कार मानव में परिमार्जन देशों को दूर करने और गुनों के समावेश करने में योगदान करते हैं।

 

(14) भीखनटोला में आर्थिक स्थिति एवं जीवन शैली कैसी थी ?

उत्तर – भीखनटोला बिहार राज्य के दुर्गम क्षेत्र में अवस्थित है। यहाँ के लोग प्रायः निर्धन और अशिक्षित हैं तथा कष्टमय जीवन बिताते हैं। कुछ अत्यंत निर्धन परिवार गाँव के बाहर टूटी कुटियाओं में रहते हैं भीखनटोला से लगभग एक कोस की दूरी पर एक प्राथमिक विद्यालय है।

 

(15) स्वामी दयानंद समाज सुधारक थे कैसे ? हिंदी के पाँच वाक्य में उत्तर दें।

उत्तर – स्वामी दयानंद ने समाज की कुरीतियों को दूर कर सुधारात्मक कार्य किया। इन्होंने जातिवाद की विषमताओं को हटाया। छुआछूत की परंपरा को दूर किया। स्त्रियों को हो रही दुर्दशा को रोका स्त्री शिक्षा को बढ़ावा दिया और विधवा स्थिति को सुधारा।

 

 

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